Sunday, May 16, 2010

चांद सा बनना चाहिये...





एक विचार

चन्द्रमा अपना प्रकाश सारे जग में फैलाता है परन्तु अपना कलंक अपने अन्दर ही रखता है.उसी प्रकार सद व्यक्ति अपनी अच्छाइयों से दुसरों की मदद करता है तथा अपने अवगुणों को अपने अन्दर छिपाये रखता है.

(चित्र साभार गूगल- मोहसिन)

Saturday, May 8, 2010

एक छोटा लेकिन बड़ा विचार


स्पर्धा ही जीवन है । इसमें पीछे रहना जीवन में प्रगति को रोकना है. इसलिये हमें हर स्पर्धा में शामिल होना चाहिये ।

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मेरा सवाल 123 का सही जवाब- छाता (Umbrella )

सर्वप्रथम सही जवाब दिया श्री मनोज कुमार जी ने.

श्रीमती अल्पना वर्मा जी और शमीम जी ने भी सही जवाब दिया।


Thursday, May 6, 2010

मेरा सवाल 123


जाडे में सिर्फ़ सोती रहती

पर गर्मी में छाया देती,

एक पैर में काली धोती

वर्षा में पर हरदम रोती।


पहेली के साथ हाज़िर हूं, बोलो कौन?



मेरा सवाल 122 का सही उत्तर Rajmohan’s Wife , लेखक थे बन्किम चन्द्र चैटर्जी (१८६४ से एक मैग्जीन में सिलसिले वार प्रकाशन आरंभ हु था).

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र्वप्रथ सहीजवाब दिया Shri Ram Krishna Gautam ji ने , बधाई.

अन्य आगंतुकों का धन्यवाद और आभार.

( सही उत्तर शनिवार रात ९ बजे।)



साथ ही इस पर भी गौर फरमाएं-( मोबाइल मेसेज के रुप मे प्राप्त)

एक फैमिली शोले देखकर आयी। पति पत्नी से बोला नाच बसंती नाच”.

तभी उनका छोटा बच्चा जो सामने खडा था बोला- मम्‍मी इस कुत्‍ते के सामने मत नाचना ।


Wednesday, May 5, 2010

कुछ शेर ऐसे भी


गिरते हुए आंसू की आवाज नहीं होती,

टूटे हुए दिल की आहट नहीं होती ।

अगर होता खुदा को दर्द का एहसास,

तो उसे भी दर्द देने की आदत नहीं होती।

एक परिन्‍दे का दर्द भरा फसाना था,

टूटे हुए पर और उडते हुए जाना था ।

तूफान तो झेल गया पर हुआ एक अफसोस,

वही डाल टूटी जिसपर उसका आशियाना था ।

जाने लोग हमें क्यों भूल जाते है

कुछ पल साथ रहने के बाद दूर चले जाते हैं

सच ही कहते है लोग कि

सागर से मिलने के बाद लोग बारिश को भूल जाते है।


नमस्कार,
ये शेर मैंने नहीं लिखा है।मुझे ये शेर मेरे मित्र द्वारा
( SMS ) प्राप्त हुए हैं, जिसे मैंने आपके साथ बांटा है।

कल हाज़िर होउंगा.