गिरते हुए आंसू की आवाज नहीं होती,
टूटे हुए दिल की आहट नहीं होती ।
अगर होता खुदा को दर्द का एहसास,
तो उसे भी दर्द देने की आदत नहीं होती।
एक परिन्दे का दर्द भरा फसाना था,
टूटे हुए पर और उडते हुए जाना था ।
तूफान तो झेल गया पर हुआ एक अफसोस,
वही डाल टूटी जिसपर उसका आशियाना था ।
जाने लोग हमें क्यों भूल जाते है
कुछ पल साथ रहने के बाद दूर चले जाते हैं
सच ही कहते है लोग कि
सागर से मिलने के बाद लोग बारिश को भूल जाते है।
ये शेर मैंने नहीं लिखा है।मुझे ये शेर मेरे मित्र द्वारा ( SMS ) प्राप्त हुए हैं, जिसे मैंने आपके साथ बांटा है।
कल हाज़िर होउंगा.
6 comments:
शब्द तो शोर है तमाशा है,
भाव के सिंधु में बताशा है।
मर्म की बात होठ से न कहो,
मौन ही भावना की भाषा है।
वेलकम बैक!!
सुस्वागतम!!!
sundar sher hain.
aapko shaayri ka shauk bhi hai
aaj hi maalum chala.
-
-
paheliyan kahan hain ?
अरे भाई कहाँ थे आप?
आये वापस ये दर्द भरे शेर ले कर!
सब खैरियत तो है???
Ache sher.
आदर्णीय मनोज जी धन्यवाद.
CM का आभार. शायरी का शौक मेरे खयाल से हर सहित्यकार को होता है.वैसे प्रस्तुत शेर मेरे नही हैं.
आदर्णीय अल्पना दीदी, नमस्कार.मैं बिल्कुल ठीक हूं.
मम्मी अस्वस्थ थी, अब ठीक है.
आप कैसी है?
शमीम जी धन्यवाद.
बढिया शेर ...
Post a Comment